• February 7, 2025 7:18 am

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Blood Bank से ब्लड लेना है, तो नही देना होगा अतिरिक्त शुल्क

Blood Bank : अब होगा निजी अस्पतालों पर होगा ब्लड के  मूल्य पर नियंत्रण

जब कोई व्यक्ति रक्तदान करता है और इस स्थिति में,  कोई भी  प्राइवेट अस्पताल और Blood Bank

सामान्य तौर  पर प्रति यूनिट मरीज से 2,000 से लेकर 6,000 रुपये तक का शुल्क ले लेते हैं। जब कोई

व्यति रक्तदान  करता है , तो  इसके बावजूद  भी  हमेशा उससे प्रोसेसिंग शुल्क भी लिया जाता है। हालांकि,

सरकार के नए दिशानिर्देशों के  तहत, अब केवल प्रोसेसिंग शुल्क  ही लिया जा सकता है, जो रक्त और

 

रक्त  के घटकों के लिए 250 से 1,550 रुपये  के बीच शुल्क रखा गया है।  सूत्रों के अनुसार प्राप्त जानकारी से निजी

अस्पतालों और निजी ब्लड बैंकों में अब  ब्लड  के लिए मूल्य से अधिक पैसे  वसूलने को  लेकर  केंद्र सरकार ने

प्रोसेसिंग शुल्क को छोड़कर अन्य सभी शुल्कों को  माफ करने का निर्णय लिया है। यह चुनाव इस परिप्रेक्ष्य  में

किया गया था कि “रक्त बिक्री के लिए नहीं है”, जिसके लिए भारत में सभी रक्त केंद्रों को एक  सलाह जारी की गई।

Blood Bank से ब्लड लेना है, तो नही देना होगा अतिरिक्त शुल्क
Blood Bank

ब्लड बैंकों और अस्पतालों के लिए नए दिशानिर्देश

निजी अस्पतालों में इतना पैसा लेते थे की आम आदमी परेशान हो जाता है  , यह खासकर उस समय होता

था जब कोई रक्तदान करने वाला नही मिलता था। इस स्थिति में जब किसी को रक्त की कमी होती है  या

विशेष रक्त समूह के मामले में, लोगों का शुल्क  10,000 रुपये से अधिक तक बढ़ जाता  था। परन्तु ,

सरकार के  नए दिशानिर्देशों के  अनुसार, अब केवल रक्त या रक्त घटकों

के लिए 250 से 1,550 रुपये के बीच केवल प्रोसेसिंग शुल्क ही लिया जा सकता है। जैसे – पूरे रक्त या पैक्ड

लाल रक्त  कोशिकाओं  के लिए  1,550 रुपये का शुल्क लग सकता है, जबकि प्लाज्मा और प्लेटलेट के लिए

शुल्क प्रति पैक 400  रुपये का शुल्क हो सकता है । सरकार निर्धारित  नियमों के अनुसार, आवशकता पड़ने

पर रक्त पर अतिरिक्त परीक्षणों  के लिए और भी शुल्क तय कर सकती है, जिसमें क्रॉस-मैचिंग और एंटीबॉडी

परीक्षण शामिल हैं।

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रोगियों को मिलेगी राहत

सरकार का यह निर्णय मरीजों की परेशानी को ध्यान में रखकर लिया गया है। इससे कई निजी अस्पतालों की अधिक

मूल्य वसूलने  को रोकने में मदद मिलेगी। थैलेसीमिया, जो एक ऐसा आनुवंशिक रक्त विकार है, जहां रोगी नियमित

रक्त आधान पर ही जीवित  रहते हैं।  इस बीमारी के कारण रोगियों को महीने में दो बार रक्त आधान कराना पड़ता है।

इस बीमारी के कारण उन्हें रक्त आधान के लिए अधिक  शुल्क का भुगतान करना होता है, जो उनकी आर्थिक स्तिथि

के अनुसार उन्हें भारी पड़ता है

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