गुवाहाटी, 30 जून 2025 – भारत में समावेशिता और मानवाधिकारों की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, असम की ट्रांसवुमन ताइरा भट्टाचार्जी ने विक्रमजीत सूत्रधार के साथ विवाह करके असम में पहला कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त ट्रांसवुमन विवाह रजिस्टर्ड कराया है। यह विवाह ना केवल उनके व्यक्तिगत जीवन का अहम पल था, बल्कि LGBTQ+ समुदाय के लिए एक नई उम्मीद और बदलाव की शुरुआत भी है।
इस विवाह को ‘स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954’ के तहत कानूनी रूप से पंजीकृत किया गया। खास बात यह रही कि विवाह दस्तावेज़ों में ताइरा की पहचान को एक महिला के रूप में स्वीकृति दी गई, जिससे यह विवाह भारतीय कानून की नज़र में पूरी तरह वैध और ऐतिहासिक बन गया। यह पूरी प्रक्रिया गुवाहाटी रजिस्ट्रार ऑफिस में संपन्न हुई, जहां कई गवाह और अधिकारी मौजूद रहे।
ताइरा ने बताया कि उन्होंने जन्म एक पुरुष के रूप में लिया था, लेकिन अपनी पहचान को स्वीकारते हुए ट्रांसिशन की यात्रा पूरी की। उनकी यह यात्रा समाज की कई रूढ़ियों और अस्वीकार की दीवारों को पार करके यहां तक पहुंची। वहीं विक्रमजीत सूत्रधार ने ताइरा की पहचान और व्यक्तित्व को खुले दिल से अपनाया और विवाह का फैसला लिया। इस विवाह के लिए उन्होंने समाज की पारंपरिक सोच और आलोचनाओं की परवाह न करते हुए, प्रेम और समानता को प्राथमिकता दी।
यह विवाह प्राइड मंथ 2025 के दौरान हुआ, जो LGBTQ+ समुदाय के लिए बहुत ही प्रतीकात्मक है। इस जोड़ी ने यह संदेश दिया कि प्यार की कोई सीमाएं नहीं होतीं और हर किसी को अपने जीवन साथी चुनने का हक संविधान देता है।
इस ऐतिहासिक विवाह पर ताइरा ने कहा – “यह सिर्फ मेरा नहीं, उन सभी ट्रांसजेंडर लोगों का सपना था जो समाज में बराबरी चाहते हैं। आज मैं गर्व से कह सकती हूं कि हमने बदलाव की एक नींव रखी है।”
इस कानूनी विवाह के बाद LGBTQ समुदाय, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम जनता से व्यापक समर्थन मिला। सोशल मीडिया पर इस जोड़ी को शुभकामनाओं की बाढ़ आ गई और इसे “भारत में समानता की ओर बड़ा कदम” बताया गया। इसके साथ ही यह विवाह ट्रांसजेंडर अधिकारों की दिशा में भारतीय समाज की मानसिकता में सकारात्मक परिवर्तन की ओर संकेत करता है।
रिपोर्टर- रजनीकांत शास्त्री
असम की ट्रांसवुमन ताइरा भट्टाचार्जी ने रचा इतिहास: पहली कानूनी ट्रांस-विवाह की मिसाल | ट्रांसवुमन विवाह | LGBTQ अधिकार | Assam Legal Marriage
