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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश: कोई भी विद्यार्थी आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित न हो

BySK Web Media

Jun 21, 2025
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश: कोई भी विद्यार्थी आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित न हो

गोरखपुर, 21 जून 2025
गोरक्षपीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार शाम गोरखनाथ मंदिर में आयोजित समीक्षा बैठक में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद (एमपीएसपी) से संबद्ध सभी संस्थाओं के प्रमुखों को संबोधित करते हुए कहा कि परिषद की जिम्मेदारी केवल शिक्षण संस्थाएं चलाना नहीं है, बल्कि राष्ट्र निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाना है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि परिषद की हर संस्था को यह सुनिश्चित करना होगा कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की पढ़ाई किसी भी कीमत पर प्रभावित न हो। उन्होंने कहा, “हर संस्था प्रमुख की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह जरूरतमंद विद्यार्थियों की सहायता सुनिश्चित करें और उनके उज्जवल भविष्य की दिशा में सार्थक प्रयास करें।”

‘संस्थाएं बनें युगानुकूल परिवर्तन की वाहक’

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संस्थाओं से आग्रह किया कि वे परंपरागत कार्यशैली से हटकर कार्य करें और अपने-अपने क्षेत्रों में नवाचार एवं उत्कृष्टता के मानक स्थापित करें। उन्होंने कहा, “संस्थाएं सिर्फ औपचारिकता न हों, बल्कि उनके कार्यों में उद्देश्य और प्रतिबद्धता झलकनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि परिषद की संस्थाओं को स्वच्छता, अनुशासन, हरियाली और समरसता जैसे पहलुओं में आदर्श बनना चाहिए और एक ऐसी परिसर संस्कृति विकसित करनी चाहिए, जो विद्यार्थियों को न केवल अकादमिक बल्कि नैतिक रूप से भी मजबूत बनाए।

नेतृत्व के लिए स्वयं बने उदाहरण

मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्था प्रमुखों को अनुशासन और समय पालन का सबसे पहला पालनकर्ता स्वयं बनना चाहिए। उन्होंने कहा, “जब संस्थाध्यक्ष खुद अनुशासित होंगे, तभी पूरे परिसर में यह अनुशासन स्वतः विकसित होगा।”

सीएम योगी ने निर्देश दिया कि सभी संस्था प्रमुख प्रतिदिन अपने परिसर का निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित हो रही हैं।

शिक्षकों से अपेक्षा: उत्साह और आदर्श का संचार करें

मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से अपेक्षा जताई कि वे स्वच्छता, अनुशासन एवं अन्य जिम्मेदारियों को केवल कार्यभार न समझें, बल्कि उन्हें उत्साहपूर्वक स्वीकार कर उदाहरण प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा, “शिक्षकों को संस्थापकजनों के मूल्यों एवं आदर्शों का सम्मान करते हुए विद्यार्थियों में उन गुणों का संचार करना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि विद्यालय का वातावरण सकारात्मक, प्रेरणादायक और सौंदर्यपूर्ण हो, ताकि जब कोई अभिभावक परिसर में प्रवेश करे तो वह प्रभावी अनुभव लेकर लौटे।

तकनीक को अपनाएं, करें करियर काउंसलिंग

मुख्यमंत्री ने आधुनिक समय के अनुसार शिक्षा में तकनीकी समावेशन पर बल दिया। उन्होंने कहा, “परिवर्तनशील समय में तकनीक और प्रौद्योगिकी को अपनाना आवश्यक है, ताकि विद्यार्थी वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो सकें।”

उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि विद्यार्थियों की नियमित करियर काउंसलिंग की जाए ताकि उन्हें भविष्य की दिशा तय करने में मार्गदर्शन मिल सके।

प्रार्थना सभा: चरित्र निर्माण का मूल आधार

मुख्यमंत्री ने प्रार्थना सभाओं को शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बताया और कहा कि यह न केवल आत्मिक बल प्रदान करती है, बल्कि विद्यालय में सकारात्मक और आध्यात्मिक वातावरण निर्मित करती है। साथ ही उन्होंने विद्यालय पुस्तकालय को समृद्ध करने और उसमें रोचक, शिक्षाप्रद और ज्ञानवर्धक पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही।

शताब्दी वर्ष को बनाएं ऐतिहासिक

मुख्यमंत्री योगी ने परिषद के आगामी शताब्दी वर्ष 2032 को भव्य और ऐतिहासिक बनाने के लिए अभी से विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि परिषद की स्थापना 1932 में शैक्षिक पुनर्जागरण और राष्ट्रीय मूल्यों के संरक्षण के उद्देश्य से हुई थी और अब समय आ गया है कि इसे एक राष्ट्र-निर्माण के आदर्श संस्थान के रूप में स्थापित किया जाए।

बैठक में उपस्थित प्रमुख व्यक्ति

इस समीक्षा बैठक में एमपीएसपी से संबद्ध संस्थाओं के कई प्रमुख पदाधिकारी एवं शिक्षाविद शामिल रहे, जिनमें वरिष्ठ सदस्य रामजन्म सिंह, शैलेंद्र प्रताप सिंह, प्रमथनाथ मिश्र, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह, दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ओम प्रकाश सिंह, दिग्विजयनाथ एलटी प्रशिक्षण महाविद्यालय के डॉ. अजय पांडेय, एमपीआईटी के सुधीर अग्रवाल, महाराणा प्रताप महिला पीजी कॉलेज की डॉ. सीमा श्रीवास्तव, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल संकाय की डॉ. डीएस अजीथा समेत अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

लक्ष्य की ओर यात्रा का आह्वान

बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ ने किसी निष्कर्ष की बजाय भविष्य की योजनाओं और संस्थाओं के उद्देश्यों की ओर ध्यान केंद्रित करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “परिषद की संस्थाएं शिक्षा, अनुशासन और राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ लगातार आगे बढ़ें और एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करें।”

Reporter- Rajnikant Shastri

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