प्रतापगढ़ 24 जून 2025
देवी स्थान में घोटाला! मंदिर के नाम पर अधूरा शौचालय निर्माण, सरकारी पैसे का दुरुपयोग
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िले से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने पूरे जिले ही नहीं बल्कि राज्य की राजनीति और सामाजिक चेतना को झकझोर कर रख दिया है।
यह मामला है विकासखंड बिहार बाघराय के ग्राम सभा पुवासी में स्थित चामुंडा देवी शक्तिपीठ धाम का — जो क्षेत्र के श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है।
जहां एक ओर दिनभर भक्तों का तांता लगा रहता है, वहीं अब उसी स्थान पर भ्रष्टाचार की कालिमा गहरा गई है।
पुजारी का आरोप: अधूरे शौचालय निर्माण में निकाल लिया पूरा भुगतान
मंदिर के पुजारी श्याम तिवारी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनके अनुसार मंदिर परिसर के समीप जो शौचालय निर्माण होना था, वह अभी तक पूरा नहीं हुआ।
पुजारी ने बताया:
“ना तो शौचालय में सीट लगाई गई, ना ही वेंटिलेशन के लिए एयर बॉक्स, और न ही टंकी से पानी चढ़ाने की व्यवस्था की गई। लेकिन फिर भी पूरा भुगतान पहले ही निकाल लिया गया।”
यह सीधे-सीधे सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला बनता है।
प्लंबर बुलवाकर खुद करवाया पानी की व्यवस्था
जहां प्रशासन को कार्य पूरा करवाना था, वहां पुजारी ने अपनी जेब से पैसे खर्च कर एक प्लंबर बुलाया और पानी की व्यवस्था करवानी पड़ी।
श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए पुजारी चुप नहीं बैठे, लेकिन सवाल ये उठता है कि —
क्या सरकारी योजनाओं का उपयोग केवल कागज़ों पर रह जाएगा?
BDO बोले – “जांच कर दोषियों पर सख्त कार्यवाही होगी”
पूरा मामला सामने आने पर जब पत्रकारों ने खंड विकास अधिकारी (BDO) इरफान मिर्जा से संपर्क किया, तो उन्होंने स्पष्ट कहा:
“मामले की जांच करवाई जाएगी। दोषी पाए जाने वालों पर नियमानुसार सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।”
लेकिन अब तक न कोई जांच शुरू हुई और न ही दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया गया है।
ग्राम प्रधान से संपर्क की कोशिश, लेकिन जवाब नहीं मिला
इस पूरे प्रकरण में ग्राम प्रधान की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
जब उनसे संपर्क किया गया, तो उनका फोन किसी और ने उठाया और कहा:
“प्रधान जी व्यस्त हैं।”
अब जनता जानना चाहती है कि आखिर प्रधान इतने व्यस्त क्यों हैं जब मंदिर के नाम पर घोटाला हो चुका है?
ग्रामीणों और श्रद्धालुओं में नाराजगी, निष्पक्ष जांच की मांग
गांव के लोगों में इस पूरे भ्रष्टाचार को लेकर भारी नाराजगी है।
श्रद्धालु कह रहे हैं कि:
“आस्था के केंद्र में भी यदि भ्रष्टाचार होगा, तो लोग विश्वास कहाँ करेंगे?”
सभी ग्रामीणों और मंदिर में आने वाले भक्तों की एक ही मांग है —
“निष्पक्ष जांच हो, और दोषियों को सजा दी जाए।”
क्या उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में कार्रवाई करेगी?
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति लागू की है।
लेकिन इस मामले में सरकार की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।
क्या सरकार इस पर संज्ञान लेकर दोषियों को सजा देगी?
क्या ऐसे मंदिरों को योजनाओं का वास्तविक लाभ मिल पाएगा?
RTI और पंचायत कानून की धज्जियां
भारत के पंचायती राज अधिनियम और ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार:
अधूरे कार्य का भुगतान नहीं किया जा सकता
निर्माण की गुणवत्ता और उपयोगिता का सत्यापन आवश्यक होता है
मंदिर परिसर जैसे सार्वजनिक स्थल पर किसी भी सरकारी योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता होनी चाहिए
यहाँ तीनों नियमों की खुलकर अवहेलना की गई है।
जनता जाग रही है: अब सवाल जवाब से आगे बढ़ रहा है
ग्रामीणों ने साफ-साफ कह दिया है कि अगर 15 दिनों के अंदर दोषियों पर कार्यवाही नहीं होती तो:
मंदिर परिसर में शांतिपूर्ण धरना
मुख्यमंत्री को ज्ञापन
लोकायुक्त और RTI कार्यकर्ताओं से संपर्क
यानी अब जनता समझ रही है कि मौन रहना ही सबसे बड़ी कमजोरी है।
क्या कहती है नैतिकता?
यह मंदिर हजारों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।
वहां ऐसा भ्रष्टाचार सामने आना केवल एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि नैतिक रूप से भी समाज के पतन की निशानी है।
6 बड़े सवाल जो उठते हैं इस मामले से:
1. शौचालय निर्माण में गुणवत्ता जांच क्यों नहीं हुई?
2. भुगतान किस अधिकारी के आदेश से निकाला गया?
3. ठेकेदार की जिम्मेदारी क्यों तय नहीं हुई?
4. मंदिर परिसर में बिना भक्तों की सहमति के कार्य क्यों?
5. पुजारी को खुद कार्य क्यों करवाना पड़ा?
6. ग्राम प्रधान से कोई जवाब क्यों नहीं मिल रहा?
समाधान क्या हो सकता है?
ग्राम पंचायत का लेखा-जोखा सार्वजनिक किया जाए
निर्माण कार्य की पुनः जांच हो
मंदिर परिसर में CCTV लगाया जाए
प्रत्येक निर्माण कार्य की ऑनलाइन ट्रैकिंग हो
RTI के तहत पूरी रिपोर्ट लोगों को मिले
Reporter- Rajnikant Shastri