प्रतापगढ़, कुंडा (18 जून 2025):
कुंडा ब्लॉक का ममौली गांव विकास की दौड़ में कोसों पीछे छूट चुका है। जहां एक ओर सरकार गांव-गांव तक विकास पहुंचाने के दावे कर रही है, वहीं ममौली गांव में सड़क, खड़ंजा, नाली और आवास योजनाओं का नामोनिशान तक नहीं है। यह गांव विकास के नाम पर एक शर्मनाक आईना बन गया है, जिसमें सिस्टम की असली तस्वीर नजर आती है।
गांव में करोड़ों की योजनाएं, लेकिन ज़मीनी हकीकत शून्य
ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी कागजों में ममौली गांव के लिए करोड़ों रुपये की योजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं। विकास खंड कार्यालय भी यही दावा करता है। लेकिन कैमरे की नजरों और ग्रामीणों की जुबान ने उस हकीकत को उजागर कर दिया, जो इन दावों की पोल खोलती है।
ग्रामीणों का आरोप: “प्रधान रबर स्टाम्प, असली खेल कोई और कर रहा”
ग्रामीणों ने कैमरे के सामने साफ तौर पर कहा कि गांव का प्रधान सिर्फ नाम का है। असली नियंत्रण किसी और के हाथ में है, जो योजनाओं का बंदरबांट कर रहा है। बुजुर्ग महिलाओं ने रोते हुए कहा – “लागत अहई की बिना विकास देखे हम मरि जाब…” यह बयान ममौली गांव की हालत का दर्दभरा पोस्टमार्टम है।
राजा भैया के क्षेत्र में सवालों के घेरे में विकास
यह इलाका जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के मुखिया राजा भैया के क्षेत्र में आता है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है – क्या उनके ही मतदाताओं के साथ हो रहा यह खिलवाड़ उन्हें नहीं दिखता? ममौली गांव के लोग आज सवाल कर रहे हैं कि उनकी उम्मीदों और अधिकारों के साथ ऐसा अन्याय क्यों?
क्या अब जागेंगे ज़िम्मेदार अधिकारी?
अब सबकी नजर इस पर टिकी है कि इस खबर के सामने आने के बाद कुंडा ब्लॉक प्रशासन और जिले के अधिकारी कोई एक्शन लेंगे या ममौली जैसे गांव यूं ही “मामूली” समझकर नजरअंदाज होते रहेंगे।
रिपोर्टर: राजनिकांत शास्त्री