• June 12, 2025 10:36 pm

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प्रतापगढ़ भरत चौक पर मजदूरों में झड़प, कैमरे में कैद हुई मारपीट, प्रशासनिक लापरवाही उजागर

BySK Web Media

Jun 12, 2025
प्रतापगढ़ भरत चौक पर मजदूरों में झड़प, कैमरे में कैद हुई मारपीट, प्रशासनिक लापरवाही उजागर

12 जून 2025 l  प्रतापगढ़: जिला मुख्यालय के व्यस्ततम क्षेत्र भरत चौक घंटाघर के पास बजाजा रोड पर बुधवार सुबह मजदूरों के बीच जमकर मारपीट हो गई। सुबह करीब 8:30 बजे, देहात क्षेत्रों से मजदूरी के लिए पहुंचे मजदूरों के दो गुटों में कहासुनी शुरू हुई, जो देखते ही देखते गाली-गलौज और हाथापाई में तब्दील हो गई। कुछ मजदूर भागकर फलमंडी गेट की ओर भागे, जिन्हें दूसरा पक्ष दौड़ाता हुआ गया।

गनीमत रही कि मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने बीच-बचाव कर बड़ी अनहोनी को टाल दिया। यह पूरी घटना मीडिया चैनल ‘खुलासा इंडिया’ के कैमरे में कैद हो गई।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि घटना स्थल से कुछ ही दूरी पर स्थित मकन्द्रूगंज पुलिस चौकी और कोतवाली नगर थाना क्षेत्र के बावजूद कोई पुलिसकर्मी या होमगार्ड मौके पर नहीं पहुंचा। यदि घटना में कोई बड़ी हानि होती, तो पुलिस के पास जवाब नहीं बचता।

मजदूरों की बदहाल व्यवस्था

हर सुबह भरत चौक घंटाघर पर देहात क्षेत्रों से सैकड़ों मजदूर जमा होते हैं। यहां मजदूरी की तलाश में आए लोगों को अलग-अलग गुटों द्वारा घेरकर अजीबोगरीब सवाल किए जाते हैं — काम छांव में है या धूप में, ऊपर करना है या नीचे, दिनभर करना है या कुछ घंटे?

मजदूरों के बीच कई आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी शामिल होते हैं, जो दबंगई से काम हथियाने की कोशिश करते हैं।

प्रशासनिक नियंत्रण विफल

प्रतापगढ़ के पल्टन बाजार स्थित श्रम विभाग कार्यालय में मजदूरों का पंजीकरण होता है, लेकिन उनके कार्य घंटों, मजदूरी दर, और अधिकारों का कोई स्पष्ट नियंत्रण नहीं है।

मनरेगा और मुफ्त राशन योजनाओं ने कई मजदूरों को काम के प्रति उदासीन बना दिया है। अब मजदूर निर्धारित समय से देर से पहुंचते हैं, जल्दी लंच करते हैं और समय से पहले काम बंद कर देते हैं।

मजदूरी का असंतुलन

भरत चौक पर मजदूरों की औसतन मजदूरी ₹500 है, लेकिन कई बार ₹600 तक देने पर भी योग्य मजदूर नहीं मिलते। कुछ चालाक मजदूर जानबूझकर देर से आते हैं ताकि उन्हें कम समय काम करना पड़े।

मनरेगा में भ्रष्टाचार

कुछ मजदूरों ने प्रधान के सहयोग से जॉब कार्ड बनवा रखा है और बिना काम किए ही मास्टर रोल में नाम चढ़वाकर पैसा उठा रहे हैं, जिसमें आधा पैसा प्रधान और आधा मजदूर आपस में बांट लेते हैं।

इस पूरी घटना ने मजदूर व्यवस्था, पुलिस प्रशासन और सरकारी नीतियों की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है।

रिपोर्ट: रजनीकांत शास्त्री

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