मुरादनगर, गाजियाबाद | 19 जून 2025
मुरादनगर थाने के सामने दिनदहाड़े हुए डबल मर्डर ने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि थाना प्रभारी की निष्क्रियता और अपराधियों के हौसलों की भयावह तस्वीर सामने रख दी है।
थाने के सामने सरेआम हत्या — पुलिस खौफ नदारद
घटना स्थल कोई सुनसान इलाका नहीं, बल्कि थाने का मुख्य द्वार था, जहां बेखौफ अपराधियों ने गोलीबारी कर दो युवकों की हत्या कर दी। इससे स्पष्ट होता है कि थाना प्रभारी का भय अपराधियों पर शून्य हो चुका है। जिस स्थान को जनता सबसे सुरक्षित मानती है, वहां खुलेआम हत्या होना कानून व्यवस्था की गंभीर विफलता दर्शाता है।
15 दिन पहले भी हुई थी फायरिंग, एक की मौत, एक घायल
यही नहीं, घटना से महज़ 15 दिन पहले इसी थाना क्षेत्र में हुई एक अन्य फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई थी, जबकि दूसरा अब भी गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती है। बावजूद इसके, प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अपराध रोकने में नाकाम – अनुभवहीन अफसरों को थानों की कमान!
विशेष सूत्रों के अनुसार, मुरादनगर थाने की कमान कम अनुभव वाले दरोगा को दी गई थी, जो पूर्व कमिश्नर के कार्यकाल में “विशेष कृपा” से तैनात किए गए थे।
जानकारों का कहना है कि जब तक “सम विशेष भावना” के आधार पर अनुभवहीन महिला और पुरुष दरोगाओं को थाना प्रभार सौंपने की प्रथा जारी रहेगी, तब तक अपराध पर प्रभावी नियंत्रण की उम्मीद बेमानी होगी।
निवाड़ी थाने में भी दोहरी हत्या – महिला दरोगा के कार्यकाल में बड़ी चूक
गाजियाबाद के ही निवाड़ी थाने में कुछ समय पूर्व महिला दरोगा के कार्यकाल के दौरान एक अपराधी ने क्षेत्र में अंधाधुंध फायरिंग कर डबल मर्डर को अंजाम दिया था। बाद में उस महिला अफसर का तबादला जनपद से बाहर कर दिया गया, जिससे यह संदेह और गहरा हो गया कि क्या ये नियुक्तियाँ किसी विशेष दबाव या कारण से की जाती हैं?
प्रशासन से सवाल – कब होगी जवाबदेही तय?
अब जब अपराध थानों के दरवाज़े तक पहुँच चुका है, तो यह समय है कि प्रशासन “विशेष प्रेम और कृपा” की नीति पर पुनर्विचार करे और योग्यता तथा अनुभव को प्राथमिकता दे। वरना आमजन की सुरक्षा और कानून व्यवस्था, दोनों ही सवालों के घेरे में बने रहेंगे।
Reporter- Rajnikant Shastri