प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग में उस समय हलचल मच गई जब जिला पंचायत सदस्य गौरा तृतीय के जितेंद्र कुमार पटेल ने अवर अभियंता (JE) रणविजय सिंह पर दीन दयाल उपाध्याय विद्युतीकरण योजना के तहत करोड़ों रुपये के सरकारी धन के गबन का आरोप लगाया। यह आरोप सीधे विद्युत वितरण मंडल के अधीक्षण अभियंता को एक लिखित शिकायत के रूप में सौंपा गया है।

सेवा पुस्तिका में फर्जी पता, असल में प्रतापगढ़ के निवासी
शिकायत में बताया गया कि JE रणविजय सिंह ने अपनी सेवा पुस्तिका में गलत पता प्रयागराज जिले का दर्ज कराया, जबकि वे वास्तव में प्रतापगढ़ जनपद के रानीगंज तहसील के गांव खूजी कला के मूल निवासी हैं। इस बात की पुष्टि मतदाता सूची में उनके नाम की उपस्थिति और पंचायत चुनाव में मतदान से होती है।
स्थानीय प्रभाव का दुरुपयोग, उपभोक्ताओं का शोषण
रणविजय सिंह ने लंबे समय से खूजी कला, सोनाही और दिलीपपुर जैसे स्थानीय पॉवर हाउसों में तैनात रहकर उपभोक्ताओं पर अनुचित दबाव बनाया। शिकायतों की स्थिति में प्रभावशाली लोगों के जरिए अधिकारियों पर दबाव डालना उनकी कार्यशैली में शामिल है।
स्थानांतरण रुकवाने के लिए अधिकारियों को किया शर्मसार
जानकारी के अनुसार, जब विभागीय अधिकारी JE रणविजय का जिले से बाहर ट्रांसफर करने का प्रयास करते, तो वे अपने राजनीतिक और स्थानीय संपर्कों का इस्तेमाल करके अधिकारियों को शर्मिंदा और डराने का काम करते थे, जिससे उनका तबादला नहीं हो पाता था।
वर्तमान तैनाती और पावर का प्रभाव
वर्तमान में JE रणविजय सिंह लालगंज डिवीजन के पहाड़पुर सब डिवीजन में तैनात हैं और हंड़ौर पॉवर हाउस का अतिरिक्त चार्ज भी देख रहे हैं। सेवा पुस्तिका में प्रयागराज का पता दर्शा कर वे अपने गृह जिले में लंबे समय से तैनाती बनाए हुए हैं।
बिजली विभाग में घोटाले के साथ-साथ रियल एस्टेट में भी संलिप्तता
सूत्रों की मानें तो रणविजय सिंह का प्रतापगढ़ के भूमाफियाओं से गठजोड़ है और वे प्रॉपर्टी कारोबार में भी सक्रिय रूप से शामिल हैं। आरोप है कि वह बिजली उपभोक्ताओं से अवैध वसूली में भी लिप्त हैं।
रिपोर्ट: रजनीकांत शास्त्री